कूली मूवी रिव्यू: 50 साल के सुपरस्टार राजनीति का नया अंदाज़, लेकिन लोकेश का जादू फीका

 कूली मूवी रिव्यू (लोकल स्टाइल):


कूली मूवी रिव्यू: 50 साल के सुपरस्टार राजनीति का नया अंदाज़, लेकिन लोकेश का जादू फीका



राजनीकांत का नाम सुनते ही दिल में एक अलग ही जोश आ जाता है। पचास साल के लंबे करियर में वो सिर्फ एक स्टार नहीं, बल्कि सिनेमा का एक ब्रांड बन चुके हैं। कूली, लोकेश कनागराज के डायरेक्शन में बनी, लोगों की उम्मीदों पर कितना खरी उतरती है, ये सवाल फिल्म देखने के बाद सबके मन में है।

कहानी में देव (राजनीकांत) अपने दोस्त राजा के मौत की सच्चाई जानने निकलता है। इसी में उसका सामना होता है डेयालन (सौबिन शाहिर) और उसके गैंग से, जो घड़ियों की तस्करी करते हैं। पहले हाफ में फिल्म थोड़ा स्लो लगती है, लेकिन इंटरवल के पहले कब्रिस्तान वाला सीन काफी दमदार है। दूसरे हाफ में कहानी थोड़ी खिंच जाती है, और कुछ किरदार जैसे प्रीति (श्रुति हासन) को सही स्क्रीन टाइम नहीं मिलता।

एक्टिंग की बात करें तो सौबिन शाहिर ने डेयालन के रोल में सबका ध्यान खींच लिया। नागार्जुन का विलेन लुक अच्छा लगा लेकिन रोल और स्ट्रॉन्ग हो सकता था। अनिरुद्ध का बैकग्राउंड म्यूजिक फिल्म की जान है।

बॉक्स ऑफिस पर फिल्म ने पहले दिन करीब ₹130 करोड़ का ग्रॉस कमाया, लेकिन विजय की लियो से पीछे रह गई। कुल मिलाकर, कूली में राजनी के फैंस के लिए कुछ मजेदार पल हैं, लेकिन लोकेश के पिछले लेवल की इमोशनल और क्रिस्प स्टोरी यहां मिस होती है।

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